Saturday, September 5, 2009
शिक्षक दिवस पर याद आती है वो
हर साल जब भी शिक्षक दिवस आता है तब उनकी याद ताजा हो उठती है। जब कभी मन उदासी से भर उठता है, लगता है कि हार सामने ही खड़ी तो मन में नवऊर्जा का संचारीत हो जाती है।उठो! तुममें क्षमता है। सफलता पाने की चाह रखो, असफलता से न घबराओ। मुझे पता है तुम यह कर सकते हो, तुमने अच्छा ही किया है। तुम्हारी मेहनत में कहीं कोई कमी नहीं है। सरीखे बोल अब भी कानों में गूंज उठते हैं। उम्र निरन्तर ढलान की ओर है। सब बदल चुका है। न अब मैं मैं रहा न वो वो, समय के साथ सब बिखर गया, नहीं बिखरी तो बस यादें। कालेज के दिनों में जब साथी मौज मस्ती कर रहे होते थे तो मेरा भी मन विचलित होने लगता। लेकिन जब उसे देखता तो लगता कि नहीं कोई ओर भी है जो मेरी तरह है। बस इसी समानता ने उसे मेरे और मुझे उसके नजदीक ला दिया। नजदीकियां इतनी की घर आना जाना एक सामान्य बात थी। हर सुख दुख में भागीदारी निभाने से भी परहेज नहीं रहा। इसी दौरान मेरा बीएड में चयन हो गया। अचानक ही मुझे शहर छोड़कर जाना पड़ा। जब वापस लौटा तो वो जा चुकी थी। पता चला कि केस हार जाने के कारण उसके पिता को नौकरी से बेदखल कर दिया गया था। पूरे परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा। थक हार कर उसके पिता परिवार को लेकर फिर पंजाब लौट गए। पंजाब में कहा गए यह मुझे भी पता नहीं क्यों पहले कभी इस बारे में चर्चा ही नहीं हुई। बस तब से उनकी तलाश है। दिन, महीने और साल गुजरते जा रहे हैं, लेकिन मिलने की आस बाकी है।
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गहरे भावों से प्रारंभ । स्वागत है ।
ReplyDeleteइतनी मित्रता के बावजूद उसके शहर के बारे में न पूछना...अब आपको क्या कहें। क्यों नहीं पंजाब के रांझे की तरह अपनी हीर को तलाशने के लिए आप भी पंजाब की यात्रा कर डालें। शायद आपको मंजिल मिल जाए।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है।
pyar ka ahsas hee kafi hai zindagi ke liye.narayan narayan
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