Wednesday, September 9, 2009

यमलोक में हाहाकार

नरक के विशेष सूत्र से खबर लीक हुई है कि धरती पर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही जनसंख्या से यमलोक के कर्ताधर्ता यमराज परेशान चल रहे हैं। चौकिए मत, यह सुनकर तो किसी कि पेशानी पर भी बल पड़ सकते हैं। आखिर यमलोक का धरती की जनसंख्या बढऩे से सम्बंध क्या है? अरे भई सीधी सी बात है धरती पर बढ़ी जनसंख्या को एक न एक दिन यमलोक जाना ही है। ऐसे में इस विशाल पॉपुलेशन को एडजस्ट करने की समस्त जिम्मेदारी यमराज की ही तो बनती है। पता चला है कि पहले से यमलोक में जमा लोग, खासकर धरती पर बड़े कालेकांड करके पहुंचे तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता ह्यूमन राइट्स का हवाला देकर अपने लिए यथोचित स्थान मुहैया कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका यमराज से कहना है कि जब लेकर आए हो तो रहने के लिए पर्याप्त स्थान तो देना ही पड़ेगा।दीगर बात है कि मामले की गंभीरता और यमलोक में जगह को लेकर मचे हाहाकार को काबू में करने के लिए भगवान विष्णु ने एक फार्मूला भी लगाया। उन्होंने धरती के वासियों की औसत उम्र बढ़ा दी थी। हालांकि वे भी जानते थे इससे होने जाने वाला कुछ नहीं। चंद दिनों में ही यह राहत भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो जाएगी। हुआ भी यही कुछ दिन तो यमलोक में आवक कम हो गई लेकिन बाद में हालत वही ढाक के तीन पात।धरती से लाए जाने वाले लोगों के कारण यमलोक में स्थान बंदोबस्त करते करते यमराज भी थक गए। खासकर नरक में तो तिल रखने जितनी भी जगह नहीं बची, जैसे तैसे ठूंस कर काम चलाना पड़ रहा है। उस पर नेता, अधिकारी, भ्रष्टाचारी की पहुंची जमात ने नाक में दम किया हुआ था। वे धरती पर किए गए पाप के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा लेने पर अड़े थे। अपुष्टï सूत्रों के अनुसार एकबारगी तो यमराज ने सोचा क्यों न देवलोक के अन्य देवताओं से बातचीत कर स्वर्गलोक के कानून कायदों में थोड़ा बदलाव करवाया दिया जाए ताकि कुछ पापी उधर शिफ्ट हो जाएं। लेकिन यह यह बात भी परवान चढऩे से पहले उनके दिल में ही घुट कर रह गई। आखिर उन्होंने ठान ही लिया कि येनकेन प्रकारेण वे बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप स्थान का बंदोबस्त करवाने का दबाव अन्य देवताओं पर बनाना ही पड़ेगा।सूत्र बताते हैं कि परलोक के सदन में चर्चा के दौरान भी यमराज ने नरक में बढ़ रही संख्या का मामला पूरे जोरशोर से उठाया था। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप मढ़ा कि वाहवाही लूटने के चक्कर में ब्रह्मïा और विष्णु धरती पर जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं। दोनों के पास धन-धान्य समेत अन्य संसाधनों की कोई कमी नहीं है। इसलिए दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन इतने लोगों के लिए यमलोक में स्थान का बंदोबस्त करने में पसीना मुझे ही बहाना पड़ता है। मेरे एकमात्र हेल्पर चित्रगुप्त की कमर भी हिसाब किताब रखते-रखते कुबड़ा चुकी है। काम के घंटे बढ़ जाने से यमदूत काम छोड़कर भाग जाने की धमकी देने लगे हैं। कहते-कहते यमराज आपे से बाहर हो गए। उन्होंने यह अल्टीमेटम तक दे डाला की यमलोक की जनसंख्या के लिए स्थान की कमी पड़ी तो वे भी स्वर्गलोक पर आक्रमण कर जमीन हथियाने से पीछे नहीं हटेंगे। यह सुनते ही अन्य देवता गण भौचक रह गए। यह बात अलग है कि यमराज के ये बयान सदन की कार्रवायी में शामिल नहीं किए गए। हां, अध्यक्षजी ने इतना जरूर किया कि शनि महाराज के नेत़ृत्व में एक समस्या समाधान कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी में राहू और केतू को बतौर विशेषज्ञ शामिल किया गया और नारद मुनि को समिति की रिपोर्ट जल्द से जल्द सदन के पटल पर रखने के निर्देश दिए हैं।

No comments:

Post a Comment

Followers